वृत्त में क़ैद
गोल गोल घूमती
धुरी सी माँ !
-आराधना झा श्रीवास्तव
रोक लो मुझे
मैं तो अवसर हूँ
मिलूँ न मिलूँ।
-सुरंगमा यादव
हौले से बोले
सवेरे ही सूरज
जाग भी जाओ!
-तनवीर आलम
फूल तोड़ना
प्रकृति के ग्रंथ से
पन्ना फाड़ना
-रामकुमार माथुर
वक़्त के किस्से
रेखाओं से लिखता
वृद्ध चेहरा !
-विद्या चैहान
मरी तो आज
जीवित ही कब थी
घर की बेटी
-निवेदिता श्री
(हा.द.समूह)
बच्चे-सी बर्फ
लिपटी रही माँ से
जमीन पर
-अनूप भार्गव
गाँव का मेला
सब खरीद लाये
अपनी खुशी
-मनीष मिश्रा मणि
बेमानी रिश्ते
सम्बंधों की अर्थियाँ
रोज़ ही ढोते
-सुशीला शील राणा
(हाइकु लैब)
फूटा गुब्बारा
हवा में मिल गईं
हवा की साँसें
-उमेश मौर्य
फिर जियेगी
बेटी के ही बहाने
माँ बचपन
-अलंकार आच्छा
(हाइकु लैब)
अग्नि कुंड पे
बारिश का हमला
जूझती ज्वाला
-अरुन शर्मा
हया ही तो है
सिमटी छुईमुई
छूते ही देह !
-आभा खरे
बया का स्वर
प्यानों में ढूँढ़ रहा
बूढ़ा वादक
-उमेश मौर्य
(हा.द.समूह)
बहा अस्थियाँ
चले तो बोली अम्माँ
दो पल बैठो!
-महेश चन्द्र सोती
सागर करे
नमक के गरारे
चाँद निहारे
-अलंकार आच्छा
(हाइकु लैब)
घर आँगन
मिट्टी से लीपती माँ
मिट्टी में मिली !
-ममता मिश्रा
नीदरलैंड्स
हूंँ नवांकुर
दरख्तों से सीखता
आसमां छूना !
-केशव यादव
वाइन शाप
अकेले ही पी रही
कई जिंदगी
-गंगा पांडेय भावुक
जाड़ा शैतान,
जा घुसा रजाई में
दादा के साथ।
-अमित खरे
पिता के बिना
कितनी अकेली हैं
पिता की चीजें !
-गोविन्द सेन
(हाइकु दर्पण अंक-3)