June 17, 2013

बरसे घन


बरसे घन
नदी ने तोड़ डाले
तट बंधन

-नवल किशोर नवल
[फेसबुक हाइकु समूह से]

2 comments:

ARUN RUHELA said...

अद्भुद वर्णन.. !
बेहतरीन रचना.. !

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

uttam rachana :)