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* जगदीश व्योम (डा०)
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June 20, 2021
योगा करते
योगा करते
पापुलर के पेड़
हवा के साथ
-डा० जगदीश व्योम
May 8, 2015
ताप से जूझा
ताप से जूझा
पर्वत का टुकड़ा
दर्द के चिह्न
-डा० जगदीश व्योम
[फेसबुक हाइकु समूह से]
June 22, 2014
जोगी कनेर
जोगी कनेर
सुनता है सब की
रहता मौन
-डा॰ जगदीश व्योम
January 12, 2013
नन्हें वल्बों में
नन्हे वल्बों में
गुम हो गया दिया
तैल-गंध भी
-डा० जगदीश व्योम
August 26, 2012
टहनी हिला
टहनी हिला
जाने क्या बतियाते
जंगली पेड़
-डा० जगदीश व्योम
चीखता रहा
चीखता रहा
झील पार चकोर
निर्मोही चाँद ।
-डा० जगदीश व्योम
July 31, 2011
ओस की बूँद
ओस की बूँद
कैक्टस पर बैठी
शूली पे सन्त !
-डॉ0 जगदीश व्योम
July 9, 2011
सदा से बैर
सदा से बैर
अंधकार का सिर
दिये का पैर ।
-डा० जगदीश व्योम
अनाम गंध
अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत
-डा० जगदीश व्योम
इर्द गिर्द हैं
इर्द गिर्द हैं
साँसों वाली मशीने
इंसान कहाँ !
-डा० जगदीश व्योम
June 10, 2011
छिड़ा जो युद्ध
छिड़ा जो युद्ध
रोयेगी मानवता
हँसेंगे गिद्ध ।
-डा० जगदीश व्योम
( हाइकु दर्पण से )
April 23, 2011
उगने लगे
उगने लगे
कंकरीट के वन
उदास मन ।
-डा० जगदीश व्योम
( हाइकु दर्पण से साभार )
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