परिवार के सदस्यों के बीच वैचारिक मतभेद, गलतफहमियों, अहं, कार्यों के वितरण और कभी कभी रुपए पैसे आदि के कारण भी मनोमालिन्य की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में मां किसी को समझा कर , कभी प्यार से, कभी डांट से, कभी भावनात्मक दोहन कर के , कभी कुछ झूठ सच बोल कर, कभी झूठी तारीफ करके, कभी तसल्ली देकर रिश्तों में समरसता और मिठास बनाये रखने का काम करती रहती है। अनिता कपूर का यह हाइकु मां द्वारा रिश्तों को बनाए रखने के लिए किये जाने वाले उन प्रयासों को बहुत ही सुंदरता से प्रतिबिंबित कर रहा है । मां द्वारा पारिवारिक प्रेम और आपसी सौहार्द्र बनाते रखने को दर्शाता एक श्रेष्ठ हाइकु !
1 comment:
परिवार के सदस्यों के बीच वैचारिक मतभेद, गलतफहमियों, अहं, कार्यों के वितरण और कभी कभी रुपए पैसे आदि के कारण भी मनोमालिन्य की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में मां किसी को समझा कर , कभी प्यार से, कभी डांट से, कभी भावनात्मक दोहन कर के , कभी कुछ झूठ सच बोल कर, कभी झूठी तारीफ करके, कभी तसल्ली देकर रिश्तों में समरसता और मिठास बनाये रखने का काम करती रहती है। अनिता कपूर का यह हाइकु मां द्वारा रिश्तों को बनाए रखने के लिए किये जाने वाले उन प्रयासों को बहुत ही सुंदरता से प्रतिबिंबित कर रहा है । मां द्वारा पारिवारिक प्रेम और आपसी सौहार्द्र बनाते रखने को दर्शाता एक श्रेष्ठ हाइकु !
-तनवीर आलम
Post a Comment